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वलेंटाइन डे, मन में कई पुरानी यादे गड्ड-मड्ड होने लगी हैं………..उन पुराने दिनों का प्रेम वो आकर्षण लडको और लड़कियों के बीच मर्यादाओं की घनी झिझक| दिन आया तो सब ताजा हो गया. यादें मानो कल् की ही बातें हों………
मन करता है कुछ लिखूं, ऐसा कुछ जो दिल से निकले……..दिल को छुए और हर दिल उसे महसूस करे| क्या पता मुझ सा अनाडी प्रेम के खिलाडियों को अपनी रचना से लुभा पायेगा या नहीं………या फिर ये पंक्तियाँ मेरे अंतर में उपज कर दम तोड़ देने वाली असंख्य पंक्तियों सी होगी. इन तमाम दुविधावों और संशयो के पार जाकर मैं सच में कुछ लिखना चाहता हू. उसकी कल्पना में जो आज तक मिल न सकी…..उसकी प्रेरणा से जो भविष्य में मिलेगी……..या फिर उसकी याद में जो मेरी चाहत से इतर किसी और की बन जायेगी…….हाँ मैं लिखूंगा………….
मैं आज रात सो न सका
तू जा रही थी छोड के जव महफ़िल
मजबूर था की छुप के कहीं रो न सका
मैं आज रात सो न सका
खोया रहा तेरी याद में रात दिन
है गम यही की मैं तुझमे खो न सका
मैं आज रात सो न सका
चाहत थी तुझे देखू और देखता रहूँ
दिल टूट गया मेरा मगर ये हो न सका
मैं आज रात सो न सका
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