जिंदगी का फलसफा
- 27 Posts
- 53 Comments
आँगन की मुंडेर पर कौवे को देख
मेरे आने की कयास लगाते होंगे
दूर होने पर याद आते हैं अपने
हम भी अपनों को याद आते होंगे
लालसा के खेतों में हर सुबह हरियाली
ओस की चादर में लिपटी आती होगी
निरौनी करने वाली औरतों की टोली
अब भी मीठे सुर में गाती होगी
दिन भर की भागदौड़ से थककर
साथी सब कौड़े पर जा बैठे होंगे
बातचीत हंसी मजाक और नोकझोक
अंत में सब ठहाकों पर रुकते होंगे
खेत खलिहान बगीचों के बीच कभी
अपने अफसाने भी छिडते होंगे
बस इन यादों में अक्सर फंसकर
मेरी आँखे डबडब हो जाती हैं
सैकड़ों मील दूर हुआ जबसे
तबसे ही मीलों लंबी उदासी है
Read Comments